मोक्ष का इंतजार / श्मशान में अस्थि कलशों का लग रहा अंबार, राज्य के बाहर विसर्जन के लिए अनुमति नहीं

मोक्ष का इंतजार / श्मशान में अस्थि कलशों का लग रहा अंबार, राज्य के बाहर विसर्जन के लिए अनुमति नहीं





पीलीबंगा। कल्याण भूमि में रखे अस्थि कलश। लॉकडाउन के कारण इनके विसर्जन की इजाजत नहीं मिल रही है।






  • रीति रिवाजों और अंतिम क्रियाओं पर भी कोरोना का पड़ रहा असर 

  • मोक्ष स्थल के लॉकर्स हुए फुल 


पीलीबंगा. (यश गुप्ता)। कोरोना संक्रमण ने दुनियाभर में आर्थिक हानि तो पहुंचाई ही है सामाजिक ताना-बाना भी छिन्न-भिन्न कर दिया है। संक्रमण से मरने वाले कई लोगों का अंतिम संस्कार सरकार ने ही किया है। वहीं कई जगह सामान्य मौत होने पर भी लोग अंतिम संस्कार के बाद की क्रियाएं पूरी नहीं कर पा रहे हैं।


श्रीगंगानगर जिले के पीलीबंगा का मोक्षस्थल में अस्थि कलश जमा होते जा रहे हैं। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में राज्यों से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है, जिससे मोक्ष स्थल में अस्थि कलश जमा होते जा रहे हैं। कल्याण भूमि का रखरखाव करने वाली समाजसेवी संस्था तरुण संघ के महासचिव निर्मल प्रकाश लुगरिया ने बताया कि यहां 28 लॉकर्स हैं। इनमें लोग दाह संस्कार के बाद फूल चुनकर उनकी अस्थियां अस्थि कलश में रख देते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार वे इन अस्थि कलश को हरिद्वार या कहीं और विसर्जन के लिए ले जाते हैं, ताकि मृतक को मोक्ष मिल सके, लेकिन लॉकडाउन में उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिल रही है और यहां के 28 लॉकर्स फुल हो गए। इन लॉकर्स के ऊपर भी 15 अस्थि कलश खुले में रखे हैं। 


संस्था और लॉकर्स की व्यवस्था में जुटी         
निर्मल प्रकाश ने बताया कि इस प्रकार के हालात कभी पैदा नहीं हुए तो संस्था को ज्यादा लोकर्स बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। लॉकडाउन खुलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे, इसके लिए संस्था और लोकर्स की व्यवस्था कर रही है।


उन्होंने बताया कि मृत व्यक्तियों के परिजन एक-दो दिन बाद अस्थियां संभालने के लिए आते रहते हैं। उनके माथे पर अपने परिजनों की अस्थियां विसर्जित करने में हो रही देरी की चिंता स्पष्ट नजर आती है। इन लोगों का कहना है कि मृत व्यक्ति के निधन के बाद 45 दिनों के अंदर हिंदू धर्म के अनुसार अस्थियां विसर्जित हो जानी चाहिए, परंतु बार-बार मांग के बाद भी प्रशासन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रहा है। गौरतलब है कि इस बाबत सर्व ब्राह्मण महासभा एवं श्री सनातन धर्म महावीर दल द्वारा भी प्रशासन को लिखित रूप में अस्थियां विसर्जन की अनुमति देने की मांग की जा चुकी है।