कोरोना पर सरकार / प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा- कोरोना की वैक्सीन बनाने में देश के 30 ग्रुप काम कर रहे, यह बहुत ही चुनौती भरा काम
- नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य वीके पॉल ने कहा- कोरोनावायरस से जंग वैक्सीन और दवाओं से ही जीती जा सकेगी
- उन्होंने कहा कि हमारे देश के विज्ञान और तकनीकी संस्थान और फार्मा इंडस्ट्री बहुत ही सक्षम हैं और हमें इन पर भरोसा है
नई दिल्ली. कोरोनावायरस पर गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। इसमें नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य, इंडियन मेडिकल काउंसिल फॉर रिसर्च (आईसीएमआर) और भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने भी हिस्सा लिया। नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य वीके पॉल ने बताया कि कोरोना के खिलाफ हम जंग वैक्सीन और दवाओं से जीतेंगे। हमारे देश के विज्ञान और तकनीकी संस्थान और फार्मा इंडस्ट्री बहुत ही मजबूत हैं।
उधर, प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार और प्रोफेसर के. विजय राघवन ने बताया कि हमारी वैक्सीन कंपनियां शोध और विकास कार्य में भी लगी हैं। कई स्टार्टअप कंपनियां भी यह काम कर रही हैं। देश में 30 ग्रुप ऐसे हैं, जो वैक्सीन बनाने के लिए आगे आए हैं। यह एक चुनौती और जोखिम भरी प्रक्रिया है। हम इसके लिए वैश्विक स्तर पर हो रहे प्रयास का हिस्सा है।
'चार तरह से वैक्सीन तैयार हो रही हैं'
- विजय राघवन ने बताया, हमारे यहां चार तरह से वैक्सीन तैयार हो रही हैं। इनमें एमआरए वैक्सीन: वायरस का जेनेटिक मैटेरियल लेकर इसे तैयार किया जाता है। स्टैंडर्ड वैक्सीन: वायरस का एक कमजोर वर्जन लिया जाता है, यह फैलता है, लेकिन इससे बीमारी नहीं होती। तीसरा: इस तरीके में किसी और वायरस के बैकबोन में संक्रमण फैलाने वाले वायरस के प्रोटीन कोडिंग रीजन को लगाकर वैक्सीन बनाते हैं। चौथे तरीके में वायरस का प्रोटीन लैब में तैयार कर दूसरे स्टिमूलस के साथ लगाते हैं।
- कुछ कंपनियां इस साल के अंत तक तो कुछ अगले साल फरवरी तक वैक्सीन बना सकती हैं। हमारी वैक्सीन कंपनियां दुनिया की दूसरी कंपनियों के साथ भी काम कर रही हैं, जिनमें कुछ में हम लीड कर रहे हैं तो कुछ में दूसरे देश लीड कर रहे हैं हम उसका हिस्सा हैं।
'पूरी दुनिया देख रही है कि हम कैसे काम कर रहे हैं'
नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य वीके पॉल ने बताया कि कोरोना के खिलाफ हम जंग वैक्सीन और दवाओं से जीतेंगे। हमारे देश के विज्ञान और तकनीकी संस्थान और फार्मा इंडस्ट्री बहुत ही मजबूत हैं। भारत की फार्मा इंडस्ट्री को फार्मा ऑफ द वर्ल्ड कहा जाता है। हमारे देश में बनी दवाएं और वैक्सीन पूरी दुनिया में जाती हैं। पूरी दुनिया यह देख रही है कि किस तरह हम पुरानी दवाओं का इस्तेमाल कर महामारी से बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ ही हम दवाओं के लिए शोध में भी जुटे हैं। प्रधानमंत्री ने पिछले संबोधन में वैज्ञानिकों और युवाओं से कहा था कि वे दवा और वैक्सीन खोजें। यह देश के लिए नहीं बल्कि मानवता के लिए होगा।