- लोक अदालत ने मामला किया समाप्त
ग्वालियर। 20 रुपए की चोरी का एक मामला कोर्ट में 41 साल तक चला। इसमें चोर को 4 महीने की सजा भी हो गई। बाद में कोर्ट को कहना पड़ा कि अब वह इस मामले पर और सुनवाई नहीं कर सकती है। असल में, मामला साल 1978 का है जब माधोगंज क्षेत्र में इस्माइल खान ने बाबूलाल की जेब से बस की टिकट की लाइन में लगे होने के दौरान 20 रुपये निकाल लिए थे। इस मामले पर बाबूलाल ने पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाई थी। जांच के बाद चालान कोर्ट में पेश किया गया। यह मामला तब से कोर्ट में लंबित रहा।
न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां सुनवाई चली, और इस्माइल ने न्यायालय आना बंद कर दिया। जब वह न्यायालय नहीं आया तो साल 2004 में कोर्ट ने इस्माइल खान की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया। पुलिस ने 15 साल बाद इस साल फरवरी में इस्माइल खान को ढूंढ निकाला और उसे जेल भेज दिया और उसे चार माह जेल में रहना पड़ा।
लोक अदालत में खत्म हुआ मामला
न्यायालयीन अधिकारी के अनुसार, यह मामला शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत में पहुंचा, जहां प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिल कुमार नामदेव की सलाह पर मामले को खत्म कर दिया गया। न्यायालय ने बाबूलाल से कहा मामला 41 साल पुराना है। आरोपी भी चार महीने जेल में रह चुका है। इस केस को चलाने का मतलब नहीं है।
सुनवाई के दौरान फरियादी बाबूलाल (64) ने कहा, साहब, मैं आरोपी को नहीं जानता। इतने साल बीत गए, अब मामला खत्म कर दीजिए। इसके बाद फरियादी की सहमति से मामला खत्म कर दिया गया। माधोगंज के थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह गौर का कहना है कि लोक अदालत में मामला निपटने की बात उनके सामने आई है। यह मामला बहुत पुराना है, इसलिए उनके पास इसकी विस्तृत जानकारी नहीं है।
लोक अदालत में आपसी सहमति से होता निपटारा
वहीं, हाईकोर्ट ग्वालियर खंडपीठ के सरकारी वकील ऋषिकेष मिश्रा ने कहा, लोक अदालत के जरिए आपसी सहमति से प्रकरणों का निपटारा होता है। जब भी प्रकरण आपसी सहमति से निपटते हैं तो दोनों पक्षों में न तो मनमुटाव होता है और न ही विवाद आगे बढ़ता है। इसका उदाहरण इस्माइल और बाबूलाल का मामला है। यह मामला न्यायालय में 41 साल चला और लोक अदालत में एक बार में निराकृत हो गया।