कोविड-19 के खिलाफ नरेन्‍द्र मोदी की  लड़ाई - प्रकाश जावड़ेकर 

 




कोविड-19 के खिलाफ नरेन्‍द्र मोदी की  लड़ाई

- प्रकाश जावड़ेकर 

 

इस सर्वविदित तथ्य के लिए किसी और को नहीं, बल्कि नरेन्‍द्र मोदी को ही श्रेय दिया जाता है कि संभवत: वही पहले ऐसे राजनीतिक नेता थे, जिन्होंने सोशल मीडिया की विशिष्‍ट अहमियत को बखूबी समझा और वर्ष 2014 के चुनावों में भाजपा के हित में इसका व्‍यापक सदुपयोग किया। यहां तक कि इसके बाद भी उन्होंने आम जनता को प्रेरित करने के साथ-साथ वास्तविक समय पर समाज के सामने तथ्यों को स्‍पष्‍ट रूप से पेश करने के लिए इस माध्‍यम का उपयोग किया। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने सबसे लोकप्रिय ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से लोगों से जुड़ने के लिए रेडियो का भी अत्‍यंत प्रभावशाली ढंग से सदुपयोग किया। 

मैं यह प्रमाणित कर सकता हूं कि यह प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ही थे जिन्‍होंने कोरोना महामारी के संभावित खतरे को काफी पहले दिसंबर महीने में ही भांप लिया था, जब चीन इसके बढ़ते संक्रमण से जूझ रहा था। उस समय भारत में कोरोना का कोई भी मरीज नहीं था। पहला भारतीय रोगी 30 जनवरी 2020 को टेस्टिंग में कोरोना पॉजिटिव पाया गया था, लेकिन प्रधानमंत्री कैबिनेट की हर बैठक के बाद हमसे कहा करते थे कि यह कोरोना वायरस और संक्रमण केवल चीन तक ही सीमित नहीं रहेगा। यह वायरस चारों ओर फैलेगा। यह अत्‍यंत चिंताजनक बात है क्‍योंकि सारे ही देश इससे निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। अत: भारत को इसका सामना करने के लिए खुद को तैयार करने की जरूरत है। भारत ने सबसे पहले देश में आने वाले विदेशी हवाई यात्रियों की स्क्रीनिंग करने के साथ इस दिशा में सख्‍ती बरतनी शुरू कर दी और फिर सभी की स्क्रीनिंग को अनिवार्य कर दिया और महज कुछ दिनों के बाद जैसे ही खतरा बढ़ा, हवाई एवं रेल यात्राओं पर रोक लगा दी। संदिग्ध यात्रियों को मानेसर स्थित गृह मंत्रालय के एक स्‍वास्‍थ्‍य परीक्षण केंद्र में रखा गया। उस समय तक हमें यह एहसास हो चुका था कि स्थिति कितनी गंभीर होने वाली है। ठीक उसी दिन से प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से लड़ने में भारत को सक्षम बनाने की अपनी योजनाओं को लागू करना शुरू कर दिया। 

 

• उस समय समर्पित या विशेष कोविड अस्पतालों की कोई अवधारणा नहीं थी। आज हमारे देश में लगभग 700 विशेष कोविड अस्पताल हैं जिनमें 2 लाख से भी अधिक आइसोलेशन बेड और 15,000 आईसीयू बेड हैं। 

• व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) का उद्देश्य कोविड मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों और कर्मचारियों की जान बचाना है। भारत में इस तरह की कोई सुविधा नहीं थी। इसलिए, आयात के लिए प्रथम बड़े आर्डर दिए गए। अब भारत में हमारे पास पीपीई के निर्माण और सिलाई के लिए 39 कारखाने हैं। 22 लाख से भी अधिक पीपीई किट पहले ही वितरित की जा चुकी हैं। 

• हम केवल एन95 को छोड़ किसी भी मास्क का निर्माण नहीं कर रहे थे। 6 मिलियन मास्क पहले ही वितरित किए जा चुके हैं और भारत में भी कई नए कारखानों ने एन95 मास्क पर काम करना शुरू कर दिया है और इसके साथ ही कई छोटी इकाइयों ने आम लोगों के उपयोग के लिए होममेड मास्क तैयार करना और सिलाई करना शुरू कर दिया है। 

• हमारे यहां परीक्षण (टेस्टिंग) करने के लिए केवल एक ही प्रयोगशाला (लैब) थी। यह लैब पुणे में थी।  हमारी परीक्षण क्षमता सिर्फ 4000 टेस्टिंग प्रति दिन थी। अब टेस्टिंग करने और इसके नतीजे पेश करने के लिए लगभग 300 लैब हैं। अब हम एक दिन में 80,000 से भी अधिक टेस्टिंग कर सकते हैं।  

• हमारे यहां तकरीबन 8400 वेंटिलेटर ही थे। आरंभिक ऑर्डरों की बदौलत अब हमारे पास लगभग 30,000 वेंटिलेटर हैं। भारतीय निर्माताओं ने वेंटिलेटर का निर्माण करना बाकायदा शुरू कर दिया है और हम देश में 30,000 वेंटिलेटर का निर्माण करने की उम्मीद कर रहे हैं। 

 

इसके साथ ही प्रधानमंत्री पूरी दुनिया के साथ जुड़े रहे, विभिन्न राजनेताओं से बात की एवं अपने-अपने अनुभवों को साझा किया, एक-दूसरे से सीखा और वह सब कुछ लागू किया जो उन्हें उपयोगी प्रतीत हुआ। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने ‘लॉकडाउन’ लागू करने और इसके प्रभाव के बारे में सोचा। इसलिए, उन्होंने गरीबों की रक्षा के लिए 1,70,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा पैकेज घोषित किया। भारत में ही सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके तहत सभी कमजोर वर्गों और कुछ अन्‍य लोगों, जो कुल मिलाकर 80 करोड़ हैं, को 2/3 रुपये किलो की दर से 5 किलोग्राम गेहूं/चावल दिया जाता है। अब अप्रैल, मई एवं जून के लिए प्रधानमंत्री ने प्रति व्यक्ति 15 किलो चावल/गेहूं और 3 किलो दाल मुफ्त में देने का फैसला किया। इससे लोगों के घरों में राशन की बुनियादी जरूरतें पूरी हुईं। 

निम्‍न आय वर्गों की 20 करोड़ महिलाओं के जन धन खातों में अगले 3 महीनों के लिए प्रति माह 500 रुपये का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण किया गया। इसके अलावा 8.4 करोड़ किसानों में से प्रत्‍येक के सीधे बैंक खाते में 2,000 रुपये हस्‍तांतरित किए गए। उज्ज्वला एलपीजी योजना के 8 करोड़ लाभार्थियों को 3 सिलेंडर मुफ्त दिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कोविड से लड़ने के लिए भविष्य निधि से धन निकासी की सुविधा की पेशकश की और तकरीबन 9 लाख कामगारों ने इससे लगभग 36 करोड़ रुपये निकाले हैं। 

मोदी जी ने इसके साथ ही यह वादा करते हुए छोटे व्‍यवसायों और कामगारों दोनों की ही मदद करने की घोषणा की कि इनके मालिकों एवं कामगारों के भविष्य निधि अंशदान को सरकार द्वारा 3 माह तक जमा कराया जाएगा। यह भी एक बड़ी राशि है। आरबीआई ने रेपो रेट से संबंधित विभिन्न उपायों के माध्यम से 4 लाख करोड़ रुपये की तरलता (लिक्विडिटी) सुनिश्चित की है। मध्यम वर्ग को ईएमआई की अदायगी और अन्य अनिवार्य अनुपालनों में मोहलत दी गई। 

केंद्र सरकार ने कोविड के समर्पित या विशेष उपचार के लिए 15,000 करोड़ रुपये दिए और राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के रूप में 11,000 करोड़ रुपये जारी किए। 

निर्माण श्रमिकों की सहायता के लिए 31,000 करोड़ रुपये जारी किए गए और सभी राज्यों से जल्द से जल्द उन्हें वितरित करने के लिए कहा गया। 

प्रधानमंत्री ने कृषि वस्तुओं की खेती से लेकर मार्केटिंग तक का पूरा संचालन सुनिश्चित किया। अत: इस तरह से त्‍वरित आवाजाही, अधिक बुवाई, बम्पर फसलों और जल्द से जल्द किसानों को भुगतान करने को सुविधाजनक बनाया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कृषि अर्थव्यवस्था सामान्य रूप से काम करने लगे। 

‘लॉकडाउन’ एक बहुत बड़ा निर्णय है। यह तब तक सफल नहीं होगा जब तक कि लोग स्वेच्छा से इसमें पूरी तरह साथ नहीं देंगे। प्रधानमंत्री लोगों के साथ निरंतर संवाद कर रहे हैं। गरीब से गरीब व्यक्ति को भी ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री उनकी प्रगति के लिए काम कर रहे हैं और प्रधानमंत्री को उनकी फि‍क्र है। इसी अटूट विश्‍वास की बदौलत प्रधानमंत्री लोगों को लंबे लॉकडाउन, विभिन्‍न गतिविधियों या कार्यों पर रोक लगाने और इससे जुड़ी अनगिनत कठिनाइयों का सामना करने के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार कर पाए। उन्होंने घोषणा की कि 22 मार्च को लोग ‘जनता कर्फ्यू’ का पालन करेंगे। 130 करोड़ की आबादी वाले विशाल देश में व्यावहारिक रूप से 99% लोगों ने इसका पालन किया और इसे एक बड़ी कामयाबी बना दिया। प्रधानमंत्री ने कोविड योद्धाओं का अभिनंदन करने के लिए एक दिन शाम 5 बजे लोगों से थालियां, घंटियां और तालियां बजाने को कहा। इससे वास्तव में लोगों को एकजुट होकर कोविड से लड़ने के लिए प्रेरित करने और अनुशासि‍त बनाने में मदद मिली। 

   

 प्रधानमंत्री ने सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये चार सरल उपाय भी बताए: 

• मास्क लगाना

• नियमित रूप से हाथ धोना

• सामाजिक दूरी बनाए रखना, और

• घर पर ही रहना 

 

लोगों ने काफी हद तक इसका पालन किया है। समाज के कई वर्ग इसे अब भी सीख रहे हैं और जैसे ही उनके व्यवहार में बदलाव आया, तो उसके बाद प्रधानमंत्री ने लोगों से रात 9 बजे 9 मिनट तक दीप जलाने के लिए कहा और पूरे देश ने इसमें बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। यहां तक कि झुग्गी-बस्तियों में रहने वालों और कुछ बेघरों ने भी दीप जलाया। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम मोदी जी के कारण सुरक्षित हैं, इसलिए हम उनकी बात अवश्‍य सुनेंगे। उन्होंने इस दौरान अपना संवाद जारी रखा। 3 मई को आसमान से पुष्‍प-वर्षा करके कोरोना योद्धाओं को सलाम करने का एक अभिनव कार्यक्रम आयोजित किया गया जो अत्‍यंत आकर्षक था। इसने लोगों को प्रेरित किया। 

   इस प्रकार मोदी जी ने सुव्‍यवस्थित तरीके से अग्रिम योजना बनाई, विस्तारपूर्वक योजना बनाई, सावधानीपूर्वक इसे कार्यान्वित किया, प्रभावकारी ढंग से संवाद किया, पूरी दुनिया को निरंतर अवगत रखा और इस तरह से भारत कई अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कोविड संकट से बेहतर ढंग से निपटने में कामयाब हो पाया। 

 

(लेखक केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन; सूचना व प्रसारण; और भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री हैं)




 


 

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